दीपक श्रीवास्तव
गाजीपुर | वैसे तो देश में तमाम IPS है, लेकिन कुछ आईपीएस ऐसे भी होते हैं जो जनता के बीच में अपने काम की पहचान छोड़ जाते हैं। इनमें से एक नाम गाजीपुर में तैनात डॉ. ईरज राजा वर्ष 2017 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं और मूलरूप से आगरा के गढ़ी भदौरिया के रहने वाले हैं। उनकी प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा अलीगढ़ से हुई और वर्ष 2011 में मेरठ से एमबीबीएस की परीक्षा पास की। बिजनौर में चिकित्सा अधिकारी के पद पर रहने के दौरान सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद वर्ष 2017 में उनका चयन आइपीएस में हुआ।
डॉ. ईरज राजा की शुरू से ही इच्छा थी कि वह सिविल सर्विसेज में जाएं और लोगों की सेवा करें। सबसे खास बात तो यह है कि इन्होंने अपने नाम के आगे राजा लगाते हैं और राजा का काम लोगों की सेवा करना और आज यह अपने मुकाम पर पहुंचकर लोगों की सेवा कर रहे हैं। जिसकी चर्चा जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश में भी हो रही है। आइपीएस बनने के बाद उन्हें पहली तैनाती लखनऊ में मिली। इसके बाद फिरोजाबाद और मेरठ में एएसपी रहे। दिसंबर में उन्हें गाजियाबाद का एसपी देहात बनाया गया। और अब गाजीपुर में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात है। ईरज के पिता डॉ. अशोक कुमार स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त निदेशक हैं। भाई रिषभ राजा पार्षद और बहन डेंटल सर्जन है। ईरज खाली समय परिवार के साथ बिताने व समय मिलने पर ड्राइविग का शौक रखते हैं। डॉ. ईरज राजा शुरू से ही काफी होनहार और तेज तर्रार थे। उनका मानना था कि नीयत यदि साफ हो तो हर काम आसान हो जाता है और कामयाबी मिलती है। इनकी इस कार्यशैली का जिले में सकारात्मक परिणाम आया और क्राइम के आंकड़ों की स्पीड पर तेजी से ब्रेक लग गया। वहीं, अपराधियों ने डर के मारे खौफ में सरेंडर करना शुरू कर दिया।
आपको बता दें कि सरकार ने उन्हें जब भी मौका दिया तब वह उम्मीदों पर खरे उतरे और अपराधियों की कमर तोड़कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया। डॉक्टर का पेशा छोड़ UPSC का एग्जाम क्लियर किया और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पहली पोस्टिंग लखनऊ में मिली। इसके बाद भी 4 महीने मेरठ में ASP रहें। फिर गाजियाबाद जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 24 महीने एसपी का कार्यभार संभाला और इन 2 सालों के दौरान करीब 150 हाफ एनकाउंटर किए। इसके बाद जनवरी 2023 में बुंदेलखंड के जालौन जिले का चार्ज मिला। सरकार के उम्मीद पर खडा उतरने रहे उनकी कार्यशैली को देख 2024 में इन्हें गाजीपुर जिले का चार्ज मिला। यहां पर भी अपने स्वभाव के मुताबिक अपराधियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी। इसका नतीजा यह हुआ कि यहां पर भी हाफ एनकाउंटर की हाफ सेंचुरी बन गई। इनके सख्त तेवर को देख अपराधी भागते फिरते नजर आ रहे है। ऐसे अपराधियों की सूची तैयार हो रही है जिन पर दो या उससे अधिक मुकदमे दर्ज हैं। उनकी गतिविधियां देखी जाएंगी। यदि वे अपराध जगत में सक्रिय होंगे या किसी को संरक्षण दे रहे होंगे तो उनकी क्राइम हिस्ट्री खोली जाएगी। साथ ही हिस्ट्रीशीट तैयार कर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर तक की कार्रवाई की जाएगी। उनके इस सख्त तेवर से अपराधियों में खलबली मची हुई है। डॉ. ईरज राजा एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर है।