▶️तिहरे हत्याकांड में चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
▶️सीओ की हत्या में मृत प्रधान नन्हें के बेटे व भाई भी दोषी।
▶️घटना के बाद बलीपुर आए थे तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश
प्रतापगढ़। कुंडा के सीओ रहे जिया उल हक हत्याकांड का 11 वर्ष बाद शुक्रवार को फैसला आया। सीबीआई की विशेष अदालत ने दस आरोपियों को दोषी माना है। बलीपुर के प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद उसके भाई की गोली लगने से मौत से आक्रोशित लोगों ने सीओ की लाठी डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या का आरोप कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया व उनके करीबी रहे गुलशन यादव पर लगा था। हालांकि जांच के दौरान ही सीबीआई ने दोनों को क्लीन चिट दे दिया था। देवरिया जनपद के नूनखार टोला जुआफर के रहने वाले सीओ जिया उल हक को 2012 में कुंडा सर्किल की जिम्मेदारी मिली थी। हथिगवां के बलीपुर गांव में दो मार्च 2013 की शाम प्रधान नन्हे सिंह यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह हत्या उस समय हुई थी। जब वह विवादित जमीन के पास चाय की दुकान पर बैठा था।
सीएचसी कुंडा में नन्हें को मृत घोषित करने पर परिजन शव लेकर घर चले गए। गांव में इस कदर बवाल था कि पुलिस प्रधान के घर जाने का साहस नहीं जुटा पा रही थी। आक्रोशित ग्रामीण आरोपियों के घर धावा बोलने की तैयारी में थे। तभी कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्रा, एसएसआई विनय कुमार सिंह व गनर इमरान के साथ सीओ जिया उल हक प्रधान के घर पीछे के रास्ते से पहुंचे। तभी सुरेश यादव की गोली लग गई। यह देख भीड़ का गुस्सा और भड़क उठा। सीबीआई के अनुसार फायरिंग कर रहे ग्रामीणों ने सीओ को घेर लिया और लाठी डंडे से पीटने लगे। जबकि कोतवाल व गनर भागकर खेत में छिप गए। जिले से भारी फोर्स पहुंचने के बाद पुलिस सीओ के शव को प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे से कब्जे में ले सकी। सीओ की हत्या के बाद शासन ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, एसओ समेत अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर जांच बैठाई।
तिहरे हत्याकांड में चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मृत सीओ जिया उल की पत्नी परवीन की तहरीर पर पुलिस ने रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया, संजय सिंह उर्फ गुड्डू सिंह, गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। हालांकि बाद में सीबीआई ने राजा भैया समेत सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दिया था।
राजा भैया को देना पड़ा था इस्तीफा
तत्कालीन अखिलेश सरकार ने तिहरे हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इस घटना के बाद राजा भैया ने अखिलेश सरकार से अपना इस्तीफा भी दिया था। मरहूम सीओ की पत्नी की ओर से दर्ज मुकदमे की एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी। सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दी थी। हालांकि इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थीं। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दिया था। सीबीआई ने राजा भैया की मांग पर नार्को टेस्ट भी कराया था।
एडीजी को करना पड़ा था विरोध का सामना
सीओ की हत्या के बाद पुलिस लाइन पहुंचे एडीजी अरुण कुमार को विरोध का सामना करना पड़ा था। परिजनों के अलावा स्थानीय लोगों ने जिले की पुलिसिंग को लेकर सवाल खड़े करते हुए हंगामा भी किया था। मृत सीओ की पत्नी परवीन को संभालने के लिए अमेठी, सुल्तानपुर के एसपी को भी भेजा गया। यहां तक कि देवरिया के एसपी एलआर कुमार को प्रतापगढ़ का एसपी बनाकर शासन ने हेलीकॉप्टर से भेजा था।
भगोड़े पुलिसकर्मियों के चलते सीओ पड़ गए थे अकेले
बलीपुर के प्रधान नन्हें सिंह यादव की हत्या के बाद गांव में भारी बवाल की खबर सीओ जिया उल हक उच्च अधिकारियों को घटना की जानकारी देते हुए कुंडा कोतवाल सर्वेश सिंह, एसएसआई विनय सिंह व गनर इमरान को लेकर घटनास्थल की ओर गए थे। फायरिंग व गाली गलौज के बीच प्रधान नन्हें के घर पहुंचे सीओ को छोड़ कुंडा कोतवाल समेत दूसरे पुलिसकर्मी भाग निकले। अकेले पड़े सीओ को ग्रामीणों ने घेरकर लाठी डंडे से पीटा और बाद में गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था।
सीओ की हत्या में मृत प्रधान नन्हें के बेटे व भाई भी दोषी
बलीपुर में सीओ जिया उल हक हत्याकांड की जांच करने वाली सीबीआई ने मृत प्रधान नन्हें सिंह के बेटे योगेन्द्र उर्फ बबलू, प्रधान के भाई पवन, फूलचंद और गार्ड मंजीत को पहले गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बबलू की निशानदेही पर सीओ का मोबाइल बरामद हुआ था। उस पर सीओ को गोली मारने का आरोप था। जबकि सीओ गिर गए तो पवन, फूलचंद और मंजीत उन्हें पीटते रहे। सीओ की पिस्टल और मोबाइल बबलू उठा ले गया था। बाद में उसने पिस्टल और मोबाइल फेंक दिया था। दोषी करार होने के बाद उनके घर पर सन्नाटा पसरा रहा।
प्रधान के हत्यारोपी कामता पाल के घर हुई आगजनी
बलीपुर चौराहे पर विवादित जमीन पर बने मकान को लेकर प्रधान नन्हें सिंह की गांव के कामता पाल से रंजिश चल रही थी। हत्या से आक्रोशित प्रधान समर्थकों ने कामता के घर धावा बोला। किसी के न मिलने पर आग लगा दिया। वे गुड्डू सिंह के घर की ओर बढ़े तो हथिगवां पुलिस पहुंच गई। जिसके चलते लोग तितर बितर हो गए।
बवाल रोकने के लिए पुलिस बजाती रही हूटर
प्रधान की हत्या के बाद बलीपुर में हो रहे बवाल को रोकने का हथिगवां थानाध्यक्ष मनोज शुक्ला साहस नहीं कर सके। वह पुलिस जीप का हूटर बजाते हुए बवाल रोकने की कोशिश करते रहे। बाद में पहुंचे पुलिस अफसर भी घटनास्थल पर पहुंचने में करीब चार घंटे का वक्त लगाया।
घटना के बाद बलीपुर आए थे तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश
प्रधान नन्हें सिंह यादव की हत्या व उसके भाई सुरेश के मौत के बाद परिजन घर पर ही धरना देते हुए भूख हड़ताल पर बैठ गए। बाद में तत्कालीन सीएम अखिलेश व मंत्री आजम खान बलीपुर आए। परिजनों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी।
नगर पंचायत कुंडा बना था सीबीआई का ठिकाना
नगर पंचायत कुंडा को सीबीआई ने अपना ठिकाना बनाया था। वहां लोगों से पूछताछ की जाती रही। राजा भैया से भी नगर पंचायत कार्यालय में ही सीबीआई ने पूछताछ की थी। सौ. अमर उजाला