संवाददाता, राकेश पांडेय (मिंटू)
एचआईवी संक्रमित होने के कारण सरकारी डॉक्टरो ने नही लगाया हाथ
पीड़िता ने सीएमओ व नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विद एचआईवी एड्स संस्था के पदाधिकारी से को शिकायत
प्रतापगढ़। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर ही अगर किसी की जिंदगी और मौत को पैसे से तौलने लग जाएं तो शायद गरीबों के लिए सामान्य स्वास्थ समस्या भी सबसे बड़ा अभिश्राप है। प्रतापगढ़ के राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय और स्पर्श हॉस्पिटल में कुछ ऐसा ही हुआ। जहां शिवगढ़ ब्लॉक की प्रसव से कराह रही एक गर्भवती महिला को एचआईवी संक्रमित होने के कारण राजा प्रताप बहादुर जिला चिकित्सालय में हाथ लगाने से डॉक्टरों ने इंकार कर दिया। वहीं उक्त महिला को स्पर्श हॉस्पिटल में पैसे के लिए बंधक बना लिया।
गर्भवती महिला का कहना है कि उसने एक निजी अस्पताल में बच्चों को जन्म दिया। हालांकि वहां भी उसपर पैसे के लिए बहुत दबाव बनाया गया। जिसके बाद पीड़िता ने इसकी शिकायत सीएमओ से की है। शिवगढ़ ब्लॉक की एचआईवी संक्रमित महिला का उपचार राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में चल रहा था। सोमवार तड़के प्रसव पीड़िता को गांव की आशा मेडिकल कॉलेज के महिला अस्पताल लेकर पहुंची। वहां पर डॉक्टर ने प्रसव कराने से इनकार कर दिया। काफी नोंकझोक होने के बाद उसे भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन कोई हाथ लगाने को तैयार नहीं हुआ। महिला की तबीयत बिगड़ने लगी। इस दौरान आशा उसे लेकर स्पर्श हॉस्पिटल लेकर पहुंची। वहां उसे 10 हजार रुपये जमा कराकर नॉर्मल प्रसव कराया गया। उसने एक बच्चे को जन्म दिया। आरोप है कि महिला का प्रसव कराने के बाद अस्पताल संचालक ने उससे 40 हजार रुपये की मांग की। उसने पैसा नहीं होने की बात कही तो डॉक्टर ने उसे बंधक बना लिया। जिसके बाद पीड़िता ने सीएमओ व नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विद एचआईवी एड्स संस्था के पदाधिकारी को शिकायती पत्र देकर न्याय दिए जाने की मांग की। महिला ने बताया कि 13 हजार रुपये जमा किए हैं, इसके बावजूद अस्पताल से छुट्टी नहीं दिया जा रहा है। वहीं, सीएमओ डा. एएन प्रसाद ने बताया कि स्पर्श हॉस्पिटल संचालक को बुलाकर पीड़िता के सामने मामले को समझौता कर दिया गया है।
पैसा नहीं देने पर बंधक बनाए जाने का लगाया आरोप
पीड़िता ने सीएमओ से शिकायत की है कि स्पर्श हॉस्पिटल के संचालक ने 10 हजार रुपये में प्रसव कराने की बात कह कर भर्ती किया था। उसको एचआईवी संक्रमण की जानकारी दी थी। डिलीवरी के बाद परिजनों से 40 हजार रुपये की मांग की अतिरिक्त मांग करने लगे। पैसा नहीं दिए जाने पर पीड़िता विनीता को बंधक बना लिया गया। उक्त आरोप को लेकर अस्पताल संचालक विजय सिंह का कहना है कि महिला ने एचआईवी संक्रमण की जानकारी पहले नहीं दी थी। एक दिन के लिए लेबर रूम को बंद करना पड़ा। साथ ही हजारों रुपए के उपकरण नष्ट करने पड़े। बंधक बनाने का आरोप निराधार है। महिला को एक अलग कमरे में रखा गया था। वहीं महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. रीना रीना प्रसाद ने कहा की एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। बिना बताए अस्पताल से चली गई। यहां पर किसी भी मरीज के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। डिप्टी सीएमओ डॉ.राजेश कुमार ने कहा कि, पीड़िता के शिकायती पत्र के आधार पर जांच की जा रही है। जांच में यदि बंधक बनाए जाने का मामला सही पाया जाता है तो अस्पताल संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी