Tuesday, November 19, 2024
spot_img
spot_img
24.1 C
Delhi
Tuesday, November 19, 2024
spot_img
Homeबड़ी खबरकांवड़ रूट की दुकानों पर नेमप्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई...

कांवड़ रूट की दुकानों पर नेमप्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, सरकार को भेजा नोटिस

बेबाक मीडिया। सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को लेकर राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को इस संबंध में नोटिस भी भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को केवल खाने के प्रकार बताने होंगे कि वह शाकाहारी है या मांसाहारी। नेम प्लेट केस की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
आज सुप्रीम कोर्ट में कांवड़ यात्रा-नेमप्लेट विवाद मामले में सुनवाई हुई थी। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। दरअसल सरकार द्वारा कांवड़ा यात्रा के रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को कहा गया था। जिसके बाद ये देखा गया था कि दुकानदारों ने अपनी दुकान के बाहर अपने नाम का पोस्टर लगाया था। इस मामले को लेकर ये भी सामने आया था कि कई दुकानों के नाम हिंदुओं के नाम पर रखे गए थे लेकिन उनके मालिक मुस्लिम थे।

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग बड़ी संख्या में अपनी प्रतिक्रिया रख रहे थे और राजनीतिक बयानबाजी भी सामने आ रही थी। विपक्षी दल सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे थे। यूपी सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में एनजीओ एसोशिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस भट्‌टी ने टिप्पणी की कि मेरा भी अपना अनुभव है। केरल में एक शाकाहारी होटल था जो हिंदू का था, दूसरा मुस्लिम का था। मैं मुस्लिम वाले शाकाहारी होटल में जाता था, क्योंकि उसका मालिक दुबई से आया था। वह साफ-सफाई के मामले में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड फॉलो करता था। जस्टिस भट्‌टी की इस टिपणी को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि यूपी सरकार की ओर से कोई आदेश जारी किया गया है या फिर कोई बयान है। सीयू सिंह ने कहा कि प्रदेश में प्रशासन दुकानदारों पर दबाव डाल रहा है कि वह अपने नाम और मोबाइल नंबर को प्रदर्शित करें। कोई भी कानून पुलिस को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता है। पुलिस के पास केवल यह जांचने का अधिकार है कि किस तरह का खाना परोसा जा रहा है। कर्मचारी या मालिक का नाम अनिवार्य नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि यह स्वैच्छिक है और अनिवार्य नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि हरिद्वार पुलिस ने केस इसको लागू किया है। वहां पुलिस की तरफ से चेतावनी जारी की गई है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो कर्रवाई होगी। मध्य प्रदेश में भी इस तरह की कार्रवाई की बात की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह व्यापारियों के लिए आर्थिक मौत के समान है।
तीन राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस, मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में जारी नेम प्लेट से संबंधित आदेशों पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्य की सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है। शुक्रवार तक इस नेम प्लेट विवाद मामले में जवाब पेश करने को कहा गया है। नेम प्लेट विवाद में 26 जुलाई को अगली सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि नेम प्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के बाद फाइनल फैसला सुना सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा है कि कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों का नाम नहीं, केवल परोसे जाने वाले भोजन के प्रकार बताने की जरूरत होगी। इस प्रकार, कोर्ट ने सरकार और प्रशासन की ओर से नेम प्लेट अनिवार्य रूप से लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular