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प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय में ऑपरेशन के लिए मरीजों से 8-10 हजार रुपए ले रहे डॉक्टर

सरकारी अस्पताल में प्राइवेट खर्चा

प्रतापगढ़। सरकारी अस्पताल में केंद्र की मोदी और सूबे को योगी सरकार भले ही गरीबों को 400-600 सरकारी रसीद पर ऑपरेशन कराए जाने की सुविधा दे रही है लेकिन, प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय (डॉ. सोनेलाल पटेल स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय प्रतापगढ़) में डॉक्टरों ने सरकार की मंशा पर पानी फेरते हुए मरीजों से लूट का अपना नया तरीका निकल लिया है। यहां ऑपरेशन के लिए सरकारी खर्च के तौर पर मरीजों से 400-600 रुपए जमा कराने के बाद ऑपरेशन के समय डॉक्टर द्वारा 8000-10000 रुपए अतिरिक्त वसूला जा रहा है। इसकी कोई रसीद भी मरीजों को नहीं दी जाती है। ऑपरेशन के नाम पर डाक्टर द्वारा मरीजों से अवैध वसूली का यह तरीका सुन कर शासन प्रशासन मत्था ठनक जाएगा।वैसे तो प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय (डॉ. सोनेलाल पटेल स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय प्रतापगढ़) में आपको यह चेतावनी/संदेश जगह-जगह लिखा हुआ मिल जाएगा।

लेकिन सरकार और स्वास्थ विभाग की इस चेतावनी को खुद उसके ही डॉक्टर/कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं। स्वास्थ व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाए रखने वाले सरकार के मंसूबे पर पानी फेरते हुए मरीजों का खून कैसे चूसा जा सकता है इसके लिए देश-विदेश के बड़े-बड़े डॉक्टरों को प्रतापगढ़ के सरकारी अस्पताल के कुछ डॉक्टरों से ट्रेनिंग लेनी चाहिए। क्योंकि सरकार और स्वास्थ विभाग की गाइडलाइन से अलग यहां के डॉक्टर द्वारा मरीजों से अवैध वसूली का फॉर्मूला जानकर आप हैरान रह जाएंगे। फॉर्मूला भी ऐसा की अगर डाक्टर पर अवैध वसूली का आरोप लगे तो उसका जिम्मेदार भी मरीज को ही ठहराया जा सके। इस सब के लिए डॉक्टरों ने शासन प्रशासन से अलग अपना खुद का एक सिस्टम सेट कर रखा है। जिसमें मिशन ऑपरेशन के नाम पर गरीब, लाचार और मजबूर प्रत्येक मरीजों से हर रोज 100-200 रूपए नहीं नहीं हजारों रूपए की वसूली की घटना को बड़ी ही सफाई से अंजाम दिया जाता है।

…तो इस तरह से ऑपरेशन के नाम पर मरीजों से होती है अवैध वसूली

प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय (डॉ. सोनेलाल पटेल स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय प्रतापगढ़) के डाक्टर अपने अधीनस्थ वार्ड बॉय और दलालों के माध्यम से कैसे मिशन ऑपरेशन के नाम पर प्रति मरीजों से 8000-10000 रुपए की अवैध वसूली करते हैं। 95 फीसदी मामलों में किसी का हाथ-पैर टूटने या शरीर के किसी अन्य भाग की हड्डी टूटने पर अपनी जेब भरने के लिए तुरंत ऑपरेशन का परामर्श दे देते हैं।डाक्टर के ऑपरेशन वाले परामर्श के बाद अमूमन मरीज यही समझते हैं कि, डाक्टर साहब कह रहे हैं तो ऑपरेशन करा लेते हैं यह तो सरकारी अस्पताल है यहां तो ज्यादा पैसा भी नहीं लगेगा। लेकिन यहां पैसा नहीं लगेगा यही मरीजों की सबसे बड़ी भूल होती है। हालांकि ऑपरेशन के लिए सरकारी रसीद तो 400-600 रुपए की ही कटती है। लेकिन ऑपरेशन के नाम पर डॉक्टरों का अवैध वसूली का खेल भी यहीं से शुरू हो जाता है। मरीजों से अवैध वसूली का खेल एक मेडिकल फॉर्म पर मरीज के साइन कराने से शुरू होता है। जिसमें साफ तौर पर लिखा होता है की ऑपरेशन का सारा सामान मेरे द्वारा (मरीज के द्वारा) खरीद कर लाया गया है। जबकि मरीज के द्वारा ऑपरेशन का कोई समान नहीं लाया गया होता है। यह सिर्फ इसलिए होता है कि, अगर डाक्टर के ऊपर अवैध वसूली का आरोप लगे तो वह इसके लिए सीधे तौर पर मरीज को जिम्मेदार ठहरा सके कि मरीज ने तो लिखकर दिया है की ऑपरेशन का सारा सामान उसके द्वारा ही खरीदकर लाया गया है। मिशन ऑपरेशन के नाम पर अवैध वसूली के दूसरे स्टेप में मरीज के साथ वाले को एक सादी पर्ची पर ऑपरेशन में लगने वाले कुछ सामान(तार, रॉड आदि) को बाहर के मेडिकल स्टोर से लाने को कहा जायेगा, आप उस समान को खोजते परेशान हो जाओगे लेकिन वह समान कहीं नहीं मिलेगा। फिर मजबूरन मरीज के साथ वाला आकर बोलेगा डाक्टर साहब यह समान तो किसी मेडिकल स्टोर पर नहीं मिल पा रहा है। फिर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर द्वारा उस समान को सुल्तानपुर, प्रयागराज या अन्य जिले से मगवाने की बात कहकर मरीज से 8000-10000 रुपए के अपने अवैध वसूली के मिशन को अंजाम दिया जाता है। लेकिन यह पैसा डॉक्टर सीधे अपने हाथ में नहीं लेगा। यह पैसा वह अपने साथ रहने वाले किसी वार्ड बॉय या किसी अन्य को देने को बोलेगे। यही नहीं डॉक्टर द्वारा संबंधित वार्ड बॉय को सख्त हितायत होती है की मरीज से यह पैसा किसी भी कीमत पर ऑनलाइन मध्यम से नहीं लेना है। अंततः मरीज का वही हाल की मरता क्या न करता, अब तक हो चुके इतने मेडिकल जांच पड़ताल के बाद मरीज डाक्टर के चंगुल में फंसने को विवश हो चुका होता है। इस तरह से सरकारी अस्पताल में अस्पताल में प्राइवेट खर्चा मरीजों का खून चूस लेने जैसा होता है। इसलिए डॉक्टर को भी यह समझना चाहिए को सरकारी अस्पताल में अमूमन गरीब, किसान और मध्यम वर्ग के लोग ही उपचार करने इस उम्मीद के साथ आते हैं की उन्हे कम खर्च में बेहतर उपचार मिल जाएगा।

गुंडागर्दी पर उतारू हो चुके हैं अस्पताल में लगे गार्ड और कर्मचारी

सरकारी अस्पताल में मरीजों का आर्थिक ही नहीं मानसिक और सामाजिक शोषण भी हो रहा है।

जहां गार्ड से लेकर अस्पताल के कर्मचारी तक मरीजों और उनके साथ वालों से बेहद अपमानजक ब्यवहार करते हैं। प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय (डॉ. सोनेलाल पटेल स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय प्रतापगढ़) में लगे सुरक्षा गार्ड डॉक्टरों के असिस्टेंट बनकर काम कर रहे है तो वहीं अस्पताल के कर्मचारी (क्लर्क, वार्ड बॉय इत्यादि) गुंडे की तरह मरीजों से व्यवहार करते हैं।

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