प्रतापगढ़। स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने रविवार की कथा में कहा कि श्रीमद्भागवत कथा विश्व की सभी आपदाओं को नष्ट करने में सक्षम है। भागवत गीता से प्रेरणा लेने की जरूरत है। आज विश्व में व्याप्त नाना प्रकार की व्यथाएं, वैमनष्यता, गृह युद्ध की स्थित, प्राकृतिक आपदा, मानसिक चिंता, पारिवारिक दुर्भावनाओं को गीता के माध्यम से नष्ट किया जा सकता है। रामपुर खागल पट्टी में आयोजित कथा में भारी भीड़ जुट रही है।कथा पंडाल श्रोताओं से भरा है।

महिला और पुरुष श्रोताओं के लिए बैठने की अलग व्यवस्था की गई है। पूरे पंडाल को गेरुआ रंग से सजाया गया है। कथा के दौरान भजन की प्रस्तुतियों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। स्वामी रामभद्राचार्य कथा के दौरान बीच बीच में देश की समस्याओं पर भी वार करने से नहीं चूकते। वह देशभक्ति और रामभक्ति का जोश भी लोगों में भरने से नहीं चूकते।
भजन पर मंत्रमुग्ध होकर झूमते रहे श्रोता
मंद मुस्कान की जादू चला दे जरा, अपनी भक्ति की सरिता बहा दे जरा। सुना सुना है गिरधर गोपाल तोहे हम जानीला, दुर्योधन घर मेवा त्यागो साग विदुर घर खाओ तोहे हम जानीला आदि भजनों पर श्रोता झूमते रहे। स्वामीजी ने कहा कि जब दुर्योधन ने कहा कि भगवान मेरे घर भोजन कर लिजिए तो माधव ने कहा कि भोजन केवल दो अवस्था में ही किया जा सकता है। या तो प्रेम हो या फिर कोई भूख से मर रहा हो, और यहां ऐसा कुछ नहीं है। बताया कि विदुरानी जिनका नाम सुलभा था उसको एक ही साड़ी थी और वह भी तीन समय वह धुलकर अपनी टटिया में बंद कर सुखाकर पहनती थीं, लेकिन माधव ने मेवा त्यागकर विदुर के घर साग खाने पहुंचे थे। रामभद्राचार्य ने आयोजक परिवार के मुखिया रहे स्व. अंबिका प्रसाद मिश्र के चित्र को व्यासपीठ पर मंगाकर नमन किया।
श्रीमद्भागवत कथा में प्रमुख रूप से उपस्थित
ज्ञानानंद जी, प्रो. रामसेवक दुबे कुलपति रामानंद विश्वविद्यालय जयपुर, महेशचंद्र चतुर्वेदी अपर महाधिवक्ता, बद्रिकाश्रम के बाल योगेश्वर दास, श्यामदास, महंत कामता नाथ, अशोक पांडेय, रमाकांत उपाध्याय, आरएन तिवारी सदस्य लोक सेवा आयोग, मनोज तिवारी, विवेक उपाध्याय, पूर्व प्रमुख देवसरा देवेंद्र पांडेय, राम जी मिश्र आदि उपस्थित रहे