वरिष्ठ संवाददाता, अर्पित सिंह श्रीवास्तव
अंबेडकरनगर। लगातार बिगड़ रहे पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए भले ही केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक लाखों करोड़ों की संख्या में पौध रोपण कर रहे हो, लेकिन इसकी देखरेख करने वाला वन विभाग ही पेड़ पौधों की सुरक्षा को लेकर अपने हाथ खड़े कर रहा है। खासकर अंबेडकर नगर वन विभाग की निष्क्रियता और मिली भगत से हर रोज बड़ी संख्या में हरे पेड़ों को कटाई हो रही है। वन विभाग की लापरवाही के चलते क्षेत्र में धड़ल्ले से हरे पेड़ों की कटाई की जा रही है। इसके बाद भी विभाग वन माफियाओं पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। इसके अलावा प्रशासन भी इस तरफ अनदेखी कर रहा है।
हर वर्ष शासन हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पौधरोपण अभियान चलाता है। इस पर शासन द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं जबकि उसकी सुरक्षा को लेकर संबंधित विभाग ही लापरवाही बरतते हैं। लकड़ी ठेकेदारों के सामने नतमस्तक हो चुके वन विभाग के अधिकारियों के सामने ही जिलेभर में अंधाधुंध हरे पेड़ों को कटाई हो रही है। पेड़ काटने वालों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होने के कारण इस पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। वन माफियाओं पर रोकथाम नहीं होने के कारण जहां कभी घना जंगल हुआ करता था, वहां पर अब ठूंठ ही नजर आते हैं। इस समय सागौन के अलावा आम, इमली, बबूल, जामुन, बरगद, नीम प्रजाति के पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से जारी है। प्राप्त जानकारी अनुसार वन विभाग की मिलीभगत से इब्राहिमपुर थाना क्षेत्र के महुवारी, अवसानपुर, शाहपुर, नैपुरा, ठेलामऊ, उतरेथू, सेवागंज खुलेआम हरे पेड़ों को कटाई हो रही है। जिले के कुछ पत्रकारों द्वारा इसके खिलाफ खबर चलाए जाने के बाद वन विभाग के अधिकारी द्वारा बिना खबर न चलाए जाने के लिए रिपोर्टर की अनुमति के उसके अकाउंट में ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर किया गया। जानकारी होने पर पत्रकार द्वारा नाराजगी व्यक्त करने के साथ ही पैसा वापस कर दिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की जंगल को खतम करने में वन विभाग की कितनी बड़ी भूमिका है। वन विभाग ही चंद पैसों के लालच में पेड़ों की कटाई करने के लिए खुली छूट दे रखी है। इन पेड़ों की हो रही कटाई से वन क्षेत्रों को तो नुकसान हो ही रहा है साथ ही पर्यावरण भी तेजी से असंतुलित हो रहा है। जिसका घातक दुष्परिणाम सभी को भुगतना पड़ेगा। जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के बारे में वन अधिकारियों से पूछा गया तो उनके गैर जिम्मेदाराना जवाब ने पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़ा कर दिया। कहा कि, उनके इतना लंबा क्षेत्र है की मन करता है नौकरी ही छोड़ दूं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है की ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारियों को जबरदस्ती पद पर क्यों बैठाया गया है।