बैंगलोर। प्रतिबंधित इस्लामिक आतंकवादी संगठन पीएफआई (PFI) की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (PDPI) की मांग पर हनुमान जी की जन्मस्थली गंगावती शहर स्थित अंजनाद्री पहाड़ियों के रास्ते में गदा, तिरुपति थिम्मप्पा और धनुष-बाण के प्रतीक वाली स्ट्रीट लाइट को जिला प्रशासन ने हटाने का आदेश दे दिया है। गंगावती तालुक के तहसीलदार ने इन स्ट्रीट लाइट्स को मजहबी भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला करार दिया है। साथ ही इसे लगाने वाले इंजीनियर पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए गए हैं। इस तरह के मजहबी आदेश को लेकर हिंदू समाज के लोगों में भारी नाराजगी और आक्रोश है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस आदेश की कॉपी शेयर करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के स्थानीय कार्यकर्ता गिरीश भारद्वाज ने नाराजगी जताते हुए लिखा, “जब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए लाउडस्पीकर से अजान प्रसारित की जाती है तो ऐसी कोई चिंता नहीं होती है, न ही सांप्रदायिक सद्भाव के लिए कोई खतरा पैदा होता है। अब तहसीलदार ने इन लाइट पोल को हटाने का आदेश दिया है और इन्हें लगाने के लिए जिम्मेदार इंजीनियर के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। हम किस तरह के समाज में रह रहे हैं।
बता दें कि, कर्नाटक के एक मुस्लिम राजनीतिक संगठन SDPI ने स्थानीय नगरपालिका से कहा कि गदा, तिरुपति थिम्मप्पा और धनुष-बाण के प्रतीक वाली स्ट्रीट लाइट्स शहर की सामाजिक सद्भावना के लिए खतरा हैं। SDPI ने अपनी लिखित शिकायत में कहा कि यह डिजाइन अनावश्यक रूप से उकसावे वाले हैं, जो सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकते हैं। गंगावती शहर में इन स्ट्रीट लाइट्स को लगाने का काम कर्नाटक ग्रामीण अवसंरचना विकास लिमिटेड (KRIDL) द्वारा किया गया था। अपने आदेश में तहसीलदार ने कहा है कि इन लाइट्स को लगवाने वाले KRIDL के एक्जीक्यूटिव डेवलपर पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अयोध्या और तिरुमला में स्थापित स्ट्रीटलैम्प के समान डिजाइन की गई इन स्ट्रीट लाइटों को लगवाने का काम इस साल जुलाई माह में शुरू हुआ था।
इसका एक कारण था कि यह हिंदू धर्म के लिहाज से यह एक बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है। बता दें कि SDPI प्रतिबंधित समूह PFI का ही दूसरा रूप है। PFI एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन था, जो सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने और आतंकवादी गतिविधियों, देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहता था। जिसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। बहरहाल, यह फैसला कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के रूप में देखा जा रहा है।
हिंदुओं के भारी विरोध के बाद बैकफुट पर आया तहसील प्रशासन
कर्नाटक के कोप्पल में गदा और धनुष वाले बिजले के खंबों को हटाने का आदेश देने वाले फैसले को पलट दिया गया है। हिंदुओं की एकजुटता को देखते हुए कलेक्टर ने खंबों को हटाने का आदेश रद्द कर दिया। कलेक्टर के आदेश की कॉपी भी सामने आ गई है।