प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ़ लोकसभा सीट हमेशा से चर्चा में रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2014 के लिए प्रतापगढ़ लोकसभा का आधा चुनावी कुरुक्षेत्र तैयार हो चुका है। हालांकि बसपा और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं बीते चुनावी हार जीत की बात करें तो आजादी के बाद से पिछले एक दशक पूर्व तक इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है। अबतक प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर 10 बार कांग्रेस का कब्जा रह चुका है। जबकि बीजेपी को महज 2 बार जीत मिली है। शुरु से ही इस सीट पर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों का कब्जा रहा है। राजनीति के मझे और दिग्गज नेता राजा दिनेश सिंह प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से 4 बार सांसद चुने गए थे। जातीय समीकरण की बात करें तो इस लोकसभा सीट पर एससी/एसटी, मु्स्लिम, कुर्मी, ब्राह्मण और राजपूत विरादरी का अच्छा खासा वोट है। हालांकि प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी वोटर किंग मेकर की भूमिका में हैं।
संगमलाल गुप्ता से जनता के नाराजगी का फायदा उठा सकती है सपा-बसपा
वर्तमान सांसद संगमलाल गुप्ता से विभिन्न कारणों से प्रतापगढ़ की जनता में नाराजगी देखी जा रही है। यही नहीं कई जगहों पर तो उनके खिलाफ पोस्टर लगा कर विरोध जताया जा रहा है। ऐसे में सपा-बसपा उम्मीदवार संगमलाल गुप्ता से जनता की नाराजगी का सियासी फायदा उठाने में कोई चूक करने के मूड में नहीं हैं। जिससे प्रतापगढ़ की सियासत में त्रिशंकु राजनितिक समीकरण बनता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि संगमलाल गुप्ता अपनी दूसरी बार भी जीत दोहराने के लिए पूरी जोर शोर के साथ जुटे हुए हैं।
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
उत्तर प्रदेश में एक तरफ बीजेपी, एसबीएसपी, अपना दल, निषाद पार्टी और आरएलडी का गठबंधन है। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन है। वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर चुकी है। हालांकि प्रतापगढ़ लोकसभा सीट के लिए अभी तक भाजपा और सपा ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया है। INDIA गठबंधन में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। जबकि एक समय में प्रतापगढ़ की यह लोकसभा सीट कांग्रेस की सुरक्षित सीटों में शामिल थी।
कुछ इस तरह रहा है प्रतापगढ़ लोकसभा सीट का आंकड़ा
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले चार चुनाव में 2004 में सपा प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी, 2009 में कांग्रेस की राजकुमारी रत्ना सिंह, 2014 में अपना दल (एस) के कुंवर हरिवंश सिंह और 2019 में भाजपा के संगम लाल गुप्ता के सिर पर ताज सजा। 2019 के चुनाव में प्रतापगढ़ लोकसभा में कुल मतदान 53.56 प्रतिशत हुआ था। भाजपा प्रत्याशी को अधिकतम 47.7 मतदाताओं का आशीर्वाद मिला। 2014 के चुनाव में कुल मतदान प्रतिशत 52.12 रहा। अपना दल (एस) के प्रत्याशी को 42.01 प्रतिशत मिलने पर सफलता अर्जित हुई थी। 2009 में कुल मतदान 44.66 प्रतिशत रहा था। कांग्रेस उम्मीदवार को 26.39 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। 2004 के चुनाव में 43.00 प्रतिशत वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सपा प्रत्याशी को 25 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। तब जाकर उन्होंने देश के सबसे बड़ी पंचायत में लोगों के मुद्दाें को उठाया था। लोकसभा में विकास कार्य हुए थे।
कब कौन बना सांसद
1951 और 1957 में मुनीश्वर दत्त उपाध्याय, 1962 में अजीत प्रताप सिंह, 1967 में आरडी सिंह, 1971 में दिनेश सिंह, 1977 में रूपनाथ सिंह, 1980 में अजीत प्रताप सिंह, 1984 और 1989 दिनेश सिंह, 1991 में अभय सिंह, 1996 में राजकुमारी रत्ना सिंह, 1998 में रामविलास वेदांती, 1999 में राजकुमारी रत्ना सिंह, 2004 में अक्षय प्रताप सिंह, 2009 में राजकुमारी रत्ना सिंह 2014 में कुंवर हरिवंश सिंह, 2019 में संगम लाल गुप्ता सांसद निर्वाचित हुए।
प्रतापगढ़ की पांच विधानसभा सीटों का यह है गणित
प्रतापगढ़ में विधानसभा की कुल 7 सीटे हैं। जिसमें दो सीटों पर जनसत्ता दल, दो पर सपा, एक-एक सीट पर भाजपा, कांग्रेस कांग्रेस और अपना दल का कब्जा है। जिसमें कुंडा से रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया, बाबागंज से विनोद सरोज, पट्टी से राम सिंह पटेल, रानीगंज से डॉक्टर आरके वर्मा, रामपुर से आराधना मिश्रा मोना, सदर से राजेंद्र मौर्य, विश्वनाथगंज से जीत लाल पटेल विधायक है।
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